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शुभ फलों की वृद्धि के लिए - Preeti Lodha
बृहस्पति का मकर राशि में गोचर फल।

शुभ फलों की वृद्धि के लिए

बृहस्पति जिन्हें गुरु के नाम से भी जाना जाता है, को वैदिक ज्योतिष में गुरु का स्थान प्राप्त है। इन्हें शिक्षा एवं संतान का कारक भी माना गया है। इन्हें धनु एवं मीन राशि का स्वामित्व प्राप्त है. यह चंद्रमा की राशि कर्क में उच्च के होते हैं, एवं शनि की राशि मकर में नीच के होते है। अपने स्थान से पांचवें, सातवें एवं नौवें स्थान पर इनकी दृष्टि होती है।
कुंडली में बलि गुरु जातक को वकील, गुरु, संपादक, आचार्य, अध्यापक, ज्योतिषी आदि बनाता है ऐसा जातक बुद्धिमान एवं विवेकशील होता है. गुरु का ज्ञान का कारक भी कहा गया है। वहीं कमजोर होने पर इंसान विवेक हीन होता है। वही विपरीत स्थिति विपरीत परिणाम देकर जातक को जीवन में संघर्ष देकर पग पग पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
बृहस्पति एक राशि में 13 महीने विचरण करते है। 20 नवंबर 2020 को गुरु का गोचर अपनी स्वराशि धनु राशि मकर में होने जा रही है।
गुरु की विभिन्न राशियों पर क्या असर होगा क्योंकि अपनी नीच राशि मकर में शनि के साथ योग बनाएंगे इसलिए राशिफल इन कारणों को ध्यान में रखकर बताए जा रहे हैं.

मेष राशि
मेष राशिस्थ जातकों के लिए गुरु नौवें एवं बारहवें भाव के स्वामी होकर दसवें भाव में गोचर करेंगे। गुरु का यह गोचर आपके लिए शुभ है। इस दौरान आपके धन एवं घर सम्बन्धी परेशानियों का समाधान निकल सकता है।पिता के स्वास्थय को लेकर चिंताएं हो सकती हैं। रोजगार सम्बन्धी समस्यों का हल भी निकल सकता है। पारिवारिक सुख बढ सकता है। व्यापर में आर्थिक निवेश के भी आसार हैँ।
बेहतरीन परिणाम के लिए विष्णु की आराधना करें एवं पुखराज धारण करें।

वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए गुरु आठवें एवं एकादश भाव का स्वामी होकर बृहस्पति नवें भाव मैं गोचर करेंगे।
शोद्यार्थी छात्रों एवं जातकों के लिए यह समय एकाग्रता से किये कार्यों मैं अप्रत्याशित सफलता की संभावना दर्शाता है। इस वर्ष यह गोचर पराक्रम मैं वृद्धि कर शुभ परिणाम लायेगा। विदेश यात्रा के योग हैं। माता पिता के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।
राहत के लिए पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं एवं पीले वस्त्र दान करें। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः का जाप करें।

मिथुन राशि

मिथुन राशि जातकों के लिए गुरु सप्तम एवं दशम भाव के स्वामी होकर अष्ठम भाव में गोचर करेंगे। सप्तमेश एवं दशमेश के स्वामी की अष्टम स्थान मैं इनकी स्थिति दांपत्य जीवन मैं तनाव के संकेत देती है। देश विदेश की यात्रा मैं कष्ट एवं निराशाजनक फल और असंतुष्टि मिलेगी। यात्रा के दौरान सावधानी बरतें एवं नयी परियोजनाओं को कुछ समय के लिए टाल दें।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ रोज करें। यह कष्ट फल से रहत प्रदान करेंगे।

कर्क राशि
षष्ट एवं नवम भाव के स्वामी होकर बृहस्पति का आपके सप्तम भाव में गोचर। कर्क राशि के जातकों के लिए विवाह की संभावनाओं को प्रबल बना रहें हैँ। षष्टम भाव के स्वामी का सप्तम मैं गोचर कर्ज से निजात एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से राहत के संकेत देता है लेकिन वहीँ पति/पत्नी के स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को दर्शाता है एवं विवाह होने की स्थिति में आपसी समायोजन में दिक्कत दर्शाता है। वैवाहिक जीवन से जुडी कुछ परेशानियां उभर सकती हैं।
उपचार के लिए केले के वृक्ष को जल चढ़ाएं एवं पीले वस्त्र दान करें। बृहस्पतिवार को व्रत करें।

सिंह राशि
सिंह राशि के लिए गुरु पंचम एवं अष्टम भाव के स्वामी षष्ट भाव में गोचर करेंगे। यह स्थिति संतान सम्बन्धी परेशानियों को इंगित करती है लेकिन विदेश में विद्यार्जन के मामले में सफलता दर्शाता है। माता/पिता एवं पैतृक मामलों में सफलता मिलेगी। वाद विवाद एवं कानूनी मामलों में तकलीफें उभर सकती हैँ। कर्ज के लेन देन में सावधानी रखेँ। खर्चों में वृद्धि और स्वास्थ्य में गिरावट एवम अस्पताल के चक्कर लग सकते हें। राज्य पक्ष से तकलीफें बढेंगी।
उपचार के लिए विष्णु सहत्रनाम का रोज जप करें।

कन्या राशि
कन्या राशि वालों के लिए गुरु चतुर्थ एवं सप्तम भाव के स्वामी होकर पंचम में गोचर करेंगे। यह समय आपके वैवाहिक जीवन के लिये उत्तम है। आपके साथी के लिए भी यह समय उपलब्धियों का है। इस समय आपको मातृसुख उत्तम है। यह समय घर वाहन सम्बन्धी समस्याओं के निदान के लिए अनुकूल है। व्यापार एवं साझेदारी में लाभ और हर प्रकार की खुशियों से भरा समय है। जिन्हे विवाह में अड़चन आ रही थी उनकी भी बात बन जाएगी।
केले के पेड़ को हर बृहस्पतिवार जल चढ़ाएँ।

तुला राशि
तृतीय एवं षष्ट भाव के स्वामी होकर गुरु गुरु चौरठा भाव में गोचर करेंगे। ये स्थिति तुला राशि वालों के लिए अत्यंत कष्टकारी प्रतीत हो रही है। l लेकिन स्पर्धा एवं खेल कूद में रुचि रखने वालों के लिए समय सकारात्मक होकर सफलता दिलाने वाला हो सकता है। वाणिज्य व्यापर मामलों में धैर्य रखे और निवेश आदि मामलों में सावधानी बरतेँ। समय मानसिक तनाव से भरा रहेगा सो व्यर्थ वाद विवाद से बचें।आकस्मिक दुर्घटना के योग है सो सावधानी रखें। माता के स्वास्थय का ध्यान रखें।
नियमित रूप से पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें।

वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों के लिए बृहस्पति द्वितीय एवं पंचम भाव के स्वामी होकर तृतीय भाव में गोचर करेंगे। यह गोचर पराक्रम के लिए श्रेष्ठ और वैवाहिक जीवन के लिए उत्तम है। संतान के तरफ से कोई खुशखबरी आ सकती है। बड़े भाई बहनों से भी लाभ के उम्मीद है। इस दौरान वाणिज्यिक लाभ के भी संकेत हैं। मित्रों एवं नौकरों से असंतोष की स्थिति बन रही है।
भूरी गाय को हल्दी और रोटी देँ। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः का जाप करें।

धनु राशि
लग्न एवं चतुर्थ भाव के स्वामी का द्वित्य भाव मैं गोचर वाक्चातुर्यता से लाभ दर्शाता है। यह गोचर आपकी आर्थिक स्थिति में सुधर लयेग। परिवार में सौहार्द बना रहेगा और अगर आप विवाह के लिए प्रयास कर रहे हैं तो सफलता मिलेगी। कानूनी मामलों में मदद मिलेगी और शत्रुओं से लाभ की स्थिति बनेगी। पैतृक संपत्ति से लाभ मिलेगा। व्यवसाय में सुधार होगा और नौकरी वालों तो तरक्की के रास्ते खुलेंगे।
बृहस्पतिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएँ।

मकर राशि
बृहस्पति द्वादश और तृतीया भाव के स्वामी होकर लग्न भाव में गोचर करेंगे। प्रथम भाव में यह गोचर आकस्मिक परेशानियां देकर जातक को चिंताग्रस्त करता है जिससे उसकी दिनचर्या जे जुड़े कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है। आप आर्थिक मामलों में सावधानी बरतेँ। दोस्तों से धोखा मिल सकता हे। निवेश में भी सावधानी रखेँ।
विष्णु सहस्रनाम का नियमित जाप करें।

कुम्भ राशि
कुम्भ राशि वालों के लिए द्वितीय एवं एकादश भाव के स्वामी गुरु का गोचर द्वादश भाव में सुदूर और लम्बी यात्राओं के योग बना रहे हैँ। निवेश एवं अप्रत्याशित खर्च के संकेत हेँ। लोगों से शत्रुता बढ़ेगी एवं कानूनी मामले भी हो सकते हैँ। सेहत के मामले में सावधानी बरतेँ।
विष्णु पूजा करें और हर बृहस्पतिवार व्रत करें।

मीन राशि
लग्न एवं दशम भाव के स्वामी गुरु का गोचर एकादश भाव में मीन राशि वालों के लिए उत्तम है। व्यापर व्यवसाय में लाभ और नौकरी वालों के तरक्की के आसार बन रहे हैँ। बड़े भाई बहनों से भी लाभ और शुभ समाचारों की प्राप्ति हो सकती है। सेहत के लिए भी समय उत्तम है।
शुभ फलों की वृद्धि के लिए ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः का जाप करें।

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